राजस्थान के प्रमुख लोक देवता - पाबूजी राठौड़ (PabuJi)


पाबूजी (PabuJi)-

  1. पूरा नाम- पाबूजी राठौड़
  2. जन्म स्थान- कोलुमण्ड, फलौद या फलौदी के समीप कोळू गाँव (जोधपुर जिला, राजस्थान)
  3. पिता- धाँधल जी
  4. धाँधल जी जोधपुर के राठौड़ों के मूल पुरुष राव सीहा के पौत्र तथा राव आसथान के पुत्र थे।
  5. धाँधल जी राव धूहड़ के छोटे भाई थे।
  6. राव धूहड़ मारवाड़ में राठौड़ वंश के राजा थे।
  7. माता- कमलादे
  8. लोकमान्यता है कि पाबूजी का जन्म एक अप्सरा की कोख से हुआ था। अप्सरा के स्वर्गलोक गमन करने के बाद रानी कमलादे ने पाबूजी का पुत्रवत् लालन-पालन किया था।
  9. पत्नी- फूलमदे या सुप्यार दे या सुपियारदे
  10. फूलमदे या सुप्यार दे अमरकोट के राजा सूरजमल सोढा की राजकुमारी थी।
  11. घोड़ी- केसर कालमी (देवल नामक चारण महिला की घोड़ी)
  12. जाति- राजपुत
  13. गौत्र- राठौड़
  14. घोड़ी- केसर कालमी
  15. अवतार- पाबूजी को लक्ष्मण का अवतार माना जाता है।
  16. मेला- कोलुमण्ड में चैत्र अमावस्या के दिन आयोजित किया जाता है।
  17. अपने विवाह के दौरान तीन फेरों के बाद पाबूजी देवल नामक चारण महिला की गायों की रक्षा के लिए वापस आ गये थे।
  18. पाबूजी जोधपुर के देचू नामक गाँव में जींदराव खींची के खिलाफ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
  19. जींदराव खींची जायल का राजा था।
  20. जायल राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है।
  21. मारवाड़ में पहली बार ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है। अर्थात् मारवाड़ में पहली बार ऊँट पाबूजी लेकर आये थे।
  22. पाबूजी को 'ऊँट रक्षक देवता' भी कहा जाता है।
  23. ऊँट पालने वाली जातियां (राईका/ रैबारी/ दैवासी) पाबूजी को अपना मुख्य देवता या आराध्य देव मानते हैं।
  24. पाबूजी थोरी तथा भील जाति के भी आराध्य देव है।
  25. पाबूजी को 'प्लेग रक्षक देवता' भी कहा जाता है।
  26. पाबूजी ने गुजरात के थोरी जाति के भाइयों को शरण दी या रक्षा की थी।
  27. पाबूजी की फड राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड है।
  28. भील जाति के भोपे (पूजारी) पाबूजी की फड को गाते समय 'रावणहत्था' नामक वाद्य यंत्र बजाते हैं।ऊँट के बीमार होने पर पाबूजी की फड़ बांची जाती है तथा ऊँट के सही हो जाने पर नायक जाति के भोपों के द्वारा रावण हत्था वाद्ययंत्र से बांधी जाती है।
  29. पाबूजी के गीतों को पाबूजी के पावड़े कहते हैं।
  30. पाबूजी की वीरगाथा (लोक गाथा) गीत पवाड़े (भजन) 'माट/माठ' वाद्य यंत्र के साथ गाये जाते हैं।

पाबूजी के व्यक्तित्व की विशेषताएं-

(I) गौरक्षक देवता

(II) वीरता

(III) ऊँट रक्षक देवता

(IV) त्यागशील

(V) प्लेग रक्षक देवता

(VI) वचनबद्धता

(VII) अछूतोद्धारक

(VIII) शरणागत रक्षक

(IX) हाड़-फाड का देवता

(X) बायीं ओर झुकी हुई पोग पाबूजी की विशेषता है।



  • थोरी जाति के लोग के द्वारा पाबूजी का यशोगान सारंगी वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है। 
  • जिसे पाबूजी री वचनिका कहते हैं।
  • पाबूजी ने अपने बहनोई जिंदराज खींची (जायल, नागौर) से देंचु गाँव, जोधपुर में देवल चारणी की गायों की रक्षा की थी।
  • पाबूजी के साथी या सहयोगी चांदा, डामा, हरमल, सांवत थे। (चाँदा व डामा दोनों भील भाई थे)
  • पाबूजी की जीवनी पाबू प्रकाश नामक ग्रंथ में मिलती है।



निम्नलिखित 5 लोक देवताओं को पंच पीर कहते हैं।-

1. रामदेव जी (Ramdev Ji)
2. गोगाजी (Gogaji)
3. पाबूजी (PabuJi)
4. मेहाजी मांगलिया (Mehaji Mangalia)
5. हडबू जी सांखला (Hadbu Ji Sankhala)


उपर्युक्त 5 लोक देवताओं को हिन्दू तथा मूस्लिम दोनों धर्मों के लोग पूजते हैं या मानते हैं।